भारत में बने प्लास्टिक धागों की दुनिया में बढ़ी डिमांड, यहां बनाई गई थी पीएम मोदी की ‘नीली जैकेट’


रिपोर्ट: सुमित भारद्वाज

पानीपत: बजट सत्र 2023 के दौरान संसद में पीएम नरेंद्र मोदी को आप सभी ने नीली जैकेट पहने देखा ही होगा. क्या आप जानते हैं यह जैकेट किन धागों से बनी थी? अगर नहीं, तो हम आपको बताते हैं. दरअसल, यह जैकेट प्लास्टिक के धागों से बनाई गई थी. जिन कोल्ड ड्रिंक्स और पानी की बोतलों को हम फेंक देते हैं, उन्हीं को रीसायकल कर ये धागे बनाए जाते हैं. पानीपत में ये काम बहुत तेजी से हो रहा है और यहां के इन उत्पादों ने विदेशों तक में धूम मचा रखी है.

यूजलेस समझी जाने वाली प्लास्टिक की बोतलों का आज के फेबरिक उद्योग में कितना बड़ा रोल है, शायद आप नहीं जानते होंगे. यही वजह है कि बजट सत्र के दौरान खुद पीएम मोदी ने संसद से लोगों इस विषय में जानकारी दी. उन्होंने पर्यावरण बचाने का संदेश भी दिया. दरअसल, पीएम मोदी की नीली जैकेट इन दिनों चर्चा का केंद्र बन चुकी है. पीएम की इस खास जैकेट की चर्चा होना लाजिमी भी है, क्योंकि यह जैकेट सिंगल यूज प्लास्टिक को रीसायकल कर बनाई गई थी. वहीं, इस जैकेट के कारण अब पानीपत भी सुर्खियों में है, क्योंकि इस खास जैकेट को पानीपत में ही बनाया गया था.

आपके शहर से (पानीपत​)

विदेशों में खूब डिमांड
पानीपत में कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलों को रीसायकल किया जाता है और उससे रीसायकल फाइबर बनाया जाता है. फिर इस फाइबर से धागे बनते हैं और उन्हीं धागों से बने उत्पादों को अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है, जहां इनकी खूब डिमांड है. अब प्रधानमंत्री द्वारा वेस्ट प्लास्टिक की बोतल से बने हुए धागे की जैकेट पहनने के बाद इसकी डिमांड ओर ज्यादा बढ़ गई है.

पहले बनते हैं दाने और चिप
यूज हो चुकीं पानी, कोल्ड ड्रिंक की बोतलों को रीसायकल कर पहले सफेद रंग के प्लास्टिक दाने और चिप बनाई जाती है। उसके बाद इस दाने को अलग-अलग यूनिट में भेज कर प्लास्टिक की शीट बनाई जाती है. प्लास्टिक शीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार किया जाता है। फिर धागा बनाने वाली मिल में इस फाइबर को भेजा जाता है. फिर मिल में धागा बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है.

ऐसे तैयार होते हैं धागे  
उद्योगपति राकेश मुंजाल ने बताया कि प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20% से 50% तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है. इस धागे की क्वालिटी भी बेहतर होती है. आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. पानीपत में इसका प्रयोग बेडशीट, बाथ मैट, परदे आदि बनाने में किया जा रहा है। बताया कि प्लास्टिक से धागा बनाने से पर्यावरण तो साफ होगा ही, लोग मुनाफा भी कमा रहे हैं. पीएम के संदेश के बाद अब लोग इस विषय में और जागरूक होंगे. बोतलों को फेंकने के बजाय उन्हें बेचकर लोग लाभ भी ले सकेंगे.

2000 करोड़ का बाजार
पानीपत में भी प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट हैं. एक्सपोर्ट के साथ-साथ डोमेस्टिक मार्केट में रोजाना इस फाइबर की मांग बढ़ रही है. बीते कुछ समय में रीसायकल धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. प्लास्टिक की बोतलों को रीसायकल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है. पेट से मतलब प्लास्टिक की बोतलें हैं और यार्न का मतलब धागा. पानीपत में पेट यार्न बनाने की करीब सात से आठ इकाइयां हैं. एक अनुमान के मुताबिक इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न तैयार होता है. उद्योगपति मंदीप बताते हैं कि पेट यार्न से बने उत्पादों की अच्छी मांग है, इसे लोग पसंद कर रहे हैं. यह प्रोसेस मुनाफे के साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में भी कारगर साबित हो रहा है.

Tags: Haryana news, Panipat News, PM Modi, Single use Plastic



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