
सतलुज-यमुना लिंक नहर।
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साल 2024 में होने वाले लोकसभा और विधावसभा चुनावों की आहट आते ही इस बार फिर से सतलुज-यमुना लिंक नहर (SYL) हरियाणा के बजट में जिंदा हो गई। एसवाईएल के लिए सरकार ने 101 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हालांकि, पिछले कई साल से इसके लिए बजट में 100 करोड़ रुपये रखे जाते रहे हैं लेकिन साल 2022-23 के बजट में एसवाईएल के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया था।
हरियाणा की राजनीति में एसवाईएल बड़ा मुद्दा रहा है। हर राजनीतिक दल एसवाईएल नहर बनाने और पंजाब से पानी लाने का दावा करता रहा है लेकिन 57 साल बीत जाने के बाद भी इसका समाधान नहीं हो पाया है। हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एसवाईएल पर जमकर सियासी जंग चलती है। इस बार साल 2023-24 के बजट में हरियाणा सरकार ने एसवाईएल नहर बनाने के लिए 101 करोड़ रुपये अलग से रख दिए हैं। आने वाले 2024 के चुनावों में फिर से यह मुद्दा गूंज सकता है।
ये है विवाद
1 नवंबर 1966 को हरियाणा पंजाब से अलग हुआ। पंजाब ने रावी और ब्यास नदियों का पानी हरियाणा से बांटने के विरोध कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा पंजाब से 3.83 एमएएफ (मिलियन एकड़ फुट) का पानी मांग रहा है। इस संबंध में 15 जनवरी, 2002 और 4 जून, 2004 के सुप्रीम कोर्ट भी आदेश दे चुका है।
214 किलोमीटर लंबी यह नहर पंजाब में बहने वाली सतलुज और हरियाणा से गुजरने वाली यमुना नदी को जोड़ने के लिए बननी थी। इसका 122 किलोमीटर हिस्सा पंजाब और 92 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में पड़ता है। पंजाब की सरकार पानी देने का विरोध करती रही है।
मनोहर-हुड्डा फिर आमने-सामने
एसवाईएल को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन में एक बार फिर आमने सामने आ गए। सदन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक) नहर निर्माण को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ तीन बैठेक हो चुकी हैं। रावी-ब्यास नदी प्रणाली के पानी का अपना वैध हिस्सा लेने के लिए सरकार एसवाईएल के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। अगर अधिक बजट की जरूरत हुई तो और प्रावधान करेंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में एग्जीक्यूशन आर्डर नहीं आया है, आते ही आगामी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
केवल बैठक कर रहे सीएम, कब बनेगी नहर: हुड्डा
वहीं, बीच में हुड्डा खड़े हो गए और कहा कि बैठकों के क्या मायने हैं, जब प्रदेश का पानी ही नहीं मिल रहा और न ही नहर बनी है। हुड्डा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जब पंजाब पानी नहीं दे रहा तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका डालनी चाहिए। हर बार केवल में बजट में राशि रख देने से नहर नहीं बनेगी, इसके लिए सरकार को एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि हरियाणा की अपने हक का पानी मिल सके।