
हरियाणा विधानसभा।
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पंचायती राज संस्थाओं में दो लाख रुपये से ऊपर ई-टेंडरिंग लागू करने के खिलाफ चल रहे सरपंचों के आंदोलन को अब विपक्षी विधायकों के साथ साथ सत्ताधारी विधायकों का भी समर्थन मिला है। विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ सत्ताधारी दल भाजपा, जजपा और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों ने भी सरपंचों के हक में आवाज बुलंद की। कांग्रेस और इनेलो विधायक पहले दिन ही ई-टेंडरिंग का विरोध जता रहे हैं लेकिन अब गठबंधन सरकार में शामिल विधायक भी खुलकर सरपंचों के हक में बोलने लगे हैं।
शून्यकाल के दौरान रतिया से भाजपा से विधायक लक्ष्मण नापा ने कहा कि सरपंच चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। इसलिए बिना टेंडर वाली राशि 2 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जाए। नारनौंद से जजपा विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि प्रदेशभर में सरपंच आंदोलन कर रहे हैं और माहौल खराब हो रहा है। सरपंचों के साथ बैठकर इस विवाद को निपटाना चाहिए।
सरकार में शामिल पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने भी सदन में सरपंचों की आवाज उठाई। रावत ने कहा कि पंचायतों को 2 लाख के बजाय 20 लाख रुपये तक की पावर दी जाए। गौर हो कि इससे पहले बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग पहले से ही खुलकर सरपंचों के हक में आवाज उठा रहे हैं।
बीएल सैनी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, बोले- विजिलेंस जांच कराएंगे
रादौर से विधायक बीएल सैनी ने भी सरपंचों को अधिक वित्तीय शक्तियां देने की मांग उठाई। साथ ही आरोप लगाया कि पंचायती राज संस्थाओं जो निर्माण कार्य चल रहे है, उनमें घटिया सामग्री लगाई जा रही है। जेई से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को बताया गया लेकिन कोई सुधार नहीं है।
कहीं भी गड़बड़ी तो विधायक जाकर वह काम रुकवा दें: बबली
जवाब में ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने कहा सरकार ई-टेंडरिंग से व्यवस्था में बदलाव ला रही है। अगर कहीं पर भी गड़बड़ी तो विधायक जाकर वह काम रुकवा दें। इतना नहीं इस मामले की वह विजिलेंस से जांच कराएंगे और जो भी दोषी होगा, उन पर सख्त कार्रवाई होगी।