
हरियाणा विधानसभा।
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ई-टेंडरिंग के मामले को लेकर पहले ही एक-दूसरे पर आरोप लगा चुके जजपा के विधायक जोगीराम सिहाग और मंत्री देवेंद्र बबली सदन में भी आमने-सामने आ गए। जोगीराम सिहाग ने कहा कि वह सही को सही कहने से पीछे नहीं हटते, चाहे बात सरकार के हक में जाए या फिर खिलाफ जाए। सरपंचों को लेकर गलत धारणा बनाई गई है। सरपंचों ने कहा था कि उनका खर्च ज्यादा हुआ तो लोगों ने इसका मतलब ये निकाल लिया कि वो जो पैसे खर्च हुए हैं, वो पैसा लेने के लिए पंचायतों में आए हैं। ऐसा नहीं है, वह गांव की सेवा के लिए पैसा खर्च करके आए हैं।
सिहाग ने कहा कि दो लाख की लिमिट बेशक 50 हजार कर दो लेकिन संरपंचों को उनको मान सम्मान देना चाहिए, क्योंकि वह चुने हुए प्रतिनिधि हैं। जवाब में खड़े हुए मंत्री देवेंद्र बबली ने कहा कि नई व्यवस्था से कुछ लोगों ही परेशानी है। ई-टेंडरिंग से जिम्मेदारी तय होगी और क्वालिटी का काम होगा। कुछ लोग सरपंचों के कंधों पर अपनी राजनीति कर रहे हैं। ये गलत है। वहीं, कोसली से भाजपा के विधायक लक्ष्मण यादव ने भी सरपंचों को पावर देने की वकालत की।
उठा सरस्वती नदी और दादूपुर नलवी नहर मुद्दा
लाडवा से कांग्रेस विधायक मेवा सिंह ने किसानों की आर्थिक स्थिति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने दावा किया था कि किसानों की आमदनी 2022 में दुगनी की जाएगी लेकिन आमदनी तो नहीं बढ़ी मगर खेती में लागत बढ़ाने का काम सरकार ने किया है। दादूपुर नलवी नहर का मुद्दा उठाते हुए मेवा सिंह ने कहा कि खुदी खुदाई दादूपुर नलवी नहर को सरकार ने मिट्टी भर कर बंद करा दिया। उन्होंने कहा कि सरकार सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार का दावा करती है लेकिन उसकी जमीन पर कब्जे हो रहे हैं। बारिश में नदी का पानी फसल बर्बाद कर देता है। उन्होंने सरस्वती नदी की खुदाई कराने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने शिक्षण संस्थानों में स्टाफ की कमी का मुद्दा उठाया।