फोटो 03: दवाई लेने के लिए औषधालय के बाहर लगी लोगों की भीड़। बातचीत
गोहाना। दिन और रात के तापमान में गड़बड़ी फैलती जा रही है, लोगों की शिकायतें शुरू होती जा रही हैं। मौसम में परिर्वतन से खांसी, सर्दी, जुकाम व बुखार के लक्षणों की संख्या बढ़ जाती है।
बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 2000 मरीज आ रहे हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर डॉक्टर के कमरे के बाहर रहने वालों की भीड़ लगी रहती है। मरीज इलाज के लिए कई घंटे स्टेक में रहते हैं। मौसम परिवर्तन से पहले ओपीडी 600 से ज्यादा मिलती है। शर्मनाक का कहना है कि इस मौसम में लोग फील बरते और बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवा लें।
दिन-रात के तापमान में परिर्वतन से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। बच्चों से लेकर बड़ों में सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द, दस्त, उल्टी, आपकी शिकायत होती है। दिन में गर्मी होने से लोग गर्म कपड़े पहनने से लेकर खान-पान का ध्यान नहीं रखते। शाम के समय अचानक से तापमान कम होने से झटके लगने से परेशानी होने लगती है। इस मौसम में हृदय संबंधी परेशानी भी हो रही है। जिसके चलते लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। इस नाइट नाइट का तापमान करीब 15 डिग्री सेलियन चल रहा है, जबकि दिन का तापमान 28 डिग्री सेलियन तक पहुंच गया है। दिन और रात के तापमान में अधिक अंतर बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए परेशानी का कारण बन गया है। मेडिसन वार्ड, बाल रोग विशेषज्ञ और अन्य सीटों के कमरे के बाहर रहने वालों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। छात्रों में बच्चों की संख्या अधिक है।
स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकताएँ
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सोनिका लांबा का कहना है कि मौसम बदल रहा है। इस वक्त लोगों को स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। मामूली मौसम में हृदय संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसलिए सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें। ठंड में शरीर की नसें सड़ जाती हैं, जिससे रक्त का संचार बिगड़ जाता है। छाती में दर्द, बीपी बढ़ना-घटना व हृदयघात का खतरा बढ़ जाता है। रोग का मुख्य कारण मौसम का परिवर्तन होना है। सावधानी बरतना और बीमार होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह लें।
नागरिकों की जुबानी
सुबह 10 बजे चिकित्सक कक्ष के बाहर प्रतीक्षा कर रहा हूं। आगंतुकों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। चिकित्सक भी मौजूद नहीं रहते। ऐसे में कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। -राजबीर, निवासी गांव कैलाना।
रोगी रोग विभाग में अधिकतर बुजुर्ग हैं। बुजुर्ग मरीज अधिक समय तक लाइन में नहीं रह सकते हैं। विभाग में सदस्यों के बैठने की कोई सुविधा नहीं है। डॉक्टर की सलाह के लिए कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की ओर से ध्यान दिया जाना चाहिए और मंदिरों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाएं दी जानी चाहिए। -ईश्वर सिंह, निवासी गांव कासंडी
मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद दुर्घटना होने की बात कही गई थी। 2 घंटे से लाइन में खड़ा हूं। अभी तक डॉक्टर से मिलने के लिए नंबर नहीं आया। सरकार की ओर से आवंटित राशि का आवंटन, जिससे रोगियों को इलाज के लिए लंबाई का इंतजार नहीं करना पड़ता। -अरुण कुमार, समालखा
मेडिकल कॉलेज में हेल्प डेस्क नहीं है। ऐसे में मरीजों को इलाज के दौरान परेशानी होती है। ग्राहक एक से दूसरे कमरे के चक्कर में रहते हैं। जो मरीज अनपढ़ हैं, उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। -शिवम, ग्राम नगर
मौसम परिवर्तन के साथ ही मरीज बढ़ रहे हैं। बुखार, सर्दी व जुकाम-खांसी मरीज काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। उल्लंघन और रहन-सहन पर ध्यान दिया जाए तो नियमों से सुरक्षा की जा सकती है। छात्रों की सुविधा के लिए नौकरी की ड्यूटी लगाई गई है। इससे पीड़ित काम का सामना नहीं कर पाते। -डॉ. धैर्य, चिकित्सा अधीक्षक, बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल, खानपुर कलां।
फोटो 03: दवाई लेने के लिए औषधालय के बाहर लगी भीड़ की भीड़। बातचीत
फोटो 03: दवाई लेने के लिए औषधालय के बाहर लगी लोगों की भीड़। बातचीत
फोटो 03: दवाई लेने के लिए औषधालय के बाहर लगी भीड़ की भीड़। बातचीत
फोटो 03: दवाई लेने के लिए औषधालय के बाहर लगी भीड़ की भीड़। बातचीत