UPSC: दो बेटियों ने बढ़ाया महेंद्रगढ़ का मान, निंबी की दिव्या ने 112वीं व स्याणा की अभिरुचि ने पाई 317वीं रैंक


Mahendragarh: Divya got 112th and Abhiruchi got 317th rank in UPSC

अभिरुचि और दिव्या
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की दो बेटियों ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सराहनीय सफलता प्राप्त कर जिलावासियों को एक बार फिर से गर्व के अवसर प्रदान किए हैं। गत वर्ष परीक्षा में 438वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त करने वाली गांव निंबी की दिव्या ने इस बार 112वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त कर जिले की बेटियों के लिए प्रेरणा देने का काम किया है।

वहीं कनीना खंड के गांव स्याणा की बेटी अभिरुचि ने 317वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया है। दोनों ही परिवारों में बेटियों की सफलता पर खुशी का माहौल है। इससे पूर्व भी गांव बसई निवासी ममता यादव व दिव्या ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर जिले का गौरव बढ़ाया था।

साधारण परिवार की दिव्या ने दी दौहरी खुशी

बता दें कि गांव निंबी निवासी दिव्या एक साधारण परिवार की बेटी हैं। गत वर्ष ईडब्ल्यूएस केटेगरी में 438वीं रैंक हासिल करने के बाद दिव्या इस समय आईपीएस प्रशिक्षण के उपरांत मणिपुर केडर की एएसपी के पद पर तैनात थी। 11 वर्ष पूर्व पिता भरत सिंह के निधन के बाद दिव्या की माता बबीता देवी ने खेतों में काम कर अपनी बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया। दिव्या की छोटी बहन वर्षा और भाई भवानी सिंह अभी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दिव्या ने एएसपी पद पर कार्यकरने के साथ-साथ अपनी तैयारी को भी जारी रखा। परिवार में खुशी की लहर है। आसपास के लोग परिवार को बधाई देने पहुंच रहे हैं।

अभिरूचि ने चौथे प्रयास में पाई मंजिल

उपमंडल के गांव स्याना निवासी अभिरुचि ने यूपीएससी में चौथे प्रयास में 317वीं रैंक हासिल की है। अभिरुचि ने दिल्ली के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की है। पिता डॉ. जयपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि अभिरुचि ने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की है।

प्राथमिक शिक्षा कनीना के जीएल स्कूल पूरी करने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली से बीटेक की पढ़ाई की। 2017 में बीटेक की डिग्री लेने के बाद अभिरुचि ने दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और चौथी बार में सफलता हासिल की है।

उन्होंने बताया कि वह पशु चिकित्सक के रूप में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अभिरुचि की माता डॉ. सुविरा वर्तमान में भिवाड़ी में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर हैं। अभिरुचि के एक छोटा भाई अभिनव है। वह एनआईटी कुरुक्षेत्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।

तीन बार की असफलता नहीं तोड़ पाई हौसला

अभिरुचि ने बताया कि दसवीं कक्षा से ही उसने ठान लिया था कि वह यूपीएससी में अपना भविष्य बनाएगी। लगातार तीन बार असफलता के बाद भी हौसले कम नहीं होने दिए। प्रतिदिन आठ से दस घंटे कड़ी मेहनत रंग लाई और सफल हुई। यदि हौसले बुलंद हों और लक्ष्य निर्धारित करके उसके अनुसार मेहनत की जाए तो अवश्य ही सफलता मिलती है। बाधाएं हर क्षेत्र में आती हैं लेकिन बाधाओं को पार करने के बाद ही मंजिल मिल पाती है।



Source link

Leave a Comment