‘बीरबल के छत्ते’ में रहस्यमयी सुरंग…गायब हो गई थी पूरी बारात! रोमांचक है यह धरोहर


सुशील शर्मा/नारनौल: अकबर और बीरबल की कहानियां तो बचपन में खूब सुनी होंगी , लेकिन क्या बीरबल के छत्ते की कहानी सुनी है? नहीं सुनी, तो अब हम आपको सुनाते हैं. बीरबल का छत्ता हरियाणा और राजस्थान के बीच नारनौल में है, जो जिला महेंद्रगढ़ के अंदर आता है. क्योंकि बीरबल का छत्ता राय बालमुकुंद ने बनवाया था, इसलिए इसका नाम पहले बालमुकुन्द था, लेकिन बाद में नाम बदलकर बीरबल का छत्ता रख दिया गया. छत्ता मतलब घर, तो इस हिसाब से बीरबल का छ्त्ते का अर्थ बीरबल का घर है.

गर्मी के मौसम के दौरान इसे ठंडा रखने के लिए भूमिगत कक्षों में झरनों का इंतजाम किया गया था. दक्षिण पूर्व के कोने में एक कुआं है, जिसमें से पानी को जलाशय में भरा जाता था. इमारत के विशाल बरामदे, सीढ़ियां और छतरियां कलाकारी के अद्वितीय नमूने हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह स्मारक दिल्ली, जयपुर, महेंद्रगढ़ और लोसी के माध्यम से सुरंग से जुड़ी हुई है. यहां के नागरिकों के अनुसार, बहुत समय पहले एक सुरंग देखने के लिए एक समूह गया था, लेकिन यह वापस नहीं आया.

रहस्यमयी है बीरबल का छत्ता
स्थानीय लोगों की मानें तो अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल, राजकाज के सिलसिले में यहां आते थे और इस छत्ते में रहते थे, इसलिए इसका नाम बीरबल का छत्ता पड़ गया. वैसे तो ये जगह बहुत खूबसूरत है, लेकिन जब बात बीरबल के छत्ते की आती है तो युवाओं में रोमांच और बुजुर्गों में भय दिखने लगता है. दरअसल, बीरबल के छत्ते को रहस्यमयी माना जाता है. बुजुर्गों का मानना है कि यह एक भूतिया जगह है. कहते हैं कि यहां एक सुरंग है, जिसके रास्ते दो तरफ खुलते हैं, एक दिल्ली की ओर और दूसरा जयपुर की ओर. अमूमन तौर पर इस सुरंग में किसी का भी जाना निषेध है.

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बारात का नहीं मिला कोई निशान
ऐसा कहा जाता है कि इस सुरंग में जाना वाला कभी लौट कर नहीं आ पाया. इतना ही नहीं, यहां रह रहे बुजुर्गों की मानें तो सालों पहले इस सुरंग से एक बारात दिल्ली की ओर जाने के लिए रवाना हुई थी, लेकिन पहुंची नहीं. हैरानी की बात तो यह है कि बारात का उस सुरंग या आसपास की किसी जगह पर कोई नामो निशान भी नहीं मिला. ऐसी कई घटनाएं घटने के बाद प्रशासन ने सुरंग को बंद कर दिया.

3 करोड़ से हो रहा जीर्णोद्धार
बीरबल के छत्ते का जीर्णोद्धार कार्य 20 प्रतिशत पूरा हो गया है. लगभग 3.09 करोड़ रुपये से यह कार्य हो रहा है. करीब 380 वर्ष पहले मुगलों के शासन में बने राय बालमुकुंद के छत्ते (बीरबल का छत्ता) का जीर्णोद्धार का कार्य लगभग 20 प्रतिशत हो चुका है. पूरे स्मारक पर चूने का प्लास्टर किया जा रहा है. बाहरी फर्श पर जयपुर के लाल पत्थर लगाए जा रहे हैं. कारीगर इस भवन को पुराना स्वरूप देने का प्रयास कर रहे हैं. 20 जून 2023 को पूरा यहां जीर्णोद्धार कार्य पूरा होगा.

पांच मंजिला है भवन
जानकारी के अनुसार, यह स्मारक नारनौल के मुगल ऐतिहासिक स्मारकों में से सबसे बड़ी है. इमारत के अंदर से पानी की निकासी, फव्वारे की व्यवस्था और भूमिगत मंजिल में प्रकाश और पानी की निकासी देखी जा सकती है. यह पांच मंजिला इमारत है, जिसमें कई सभा मंडप, कमरे और खंभे हैं. केंद्रीय आंगन में फर्श और खंभे के लिए संगमरमर का उपयोग समकालीन नारनौल की समृद्धि का संकेत देता है. बीरबल के छत्ते का जीर्णोद्धार पूरा होने पर नारनौल शहर के सौंदर्यीकरण को भी चार चांद लग जाएंगे.

छत्ते के अंदर ये धरोहरें
बता दें कि बीरबल की नगरी नारनौल में राय बालमुकुंद का छत्ता (बीरबल का छत्ता), चोर गुंबद, जल महल, शाह कुली खां का मकबरा, पीर तुर्कमान की दरगाह, तख्त वाली बावड़ी ऐतिहासिक स्मारक हैं. राजा अकबर के नवरत्न बीरबल की नगरी नारनौल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इस ऐतिहासिक नगरी में ऐसी अनेक धरोहर हैं, जिनकी मरम्मत कर पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है.

ऐसे पहुंच सकते हैं यहां
Plane: अगर आप हवाई यात्रा के जरिए बीरबल का छत्ता पहुंचना चाहते हैं तो आपको दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर आना होगा. यहां से बीरबल का छत्ता 130 KM दूर है. इतनी दूरी आप बस या टैक्सी से तय कर सकते हैं.
Train: ट्रेन से सफर करने के लिए आपको नारनौल तक की ट्रेन लेनी होगी. नारनौल रेलवे स्टेशन से बीरबल का छत्ता 1.7 KM दूर है.
Bus: रोड से बीरबल का छत्ता घूमने के लिए आप अपने नज़दीक अंतरराज्यीय बस अड्डे जाकर वहां से नारनौल जाने वाली बस ले सकते हैं. नारनौल बस अड्डे से बीरबल का छत्ता सिर्फ 1.3 KM दूर है.
Hotel: आप नारनौल में स्टे करना चाहते हैं तो आप किसी होटल में रुक सकते हैं. बीरबल का छत्ता के नजदीक काफी होटल हैं, जो सिर्फ 1 से 2 KM की दूरी पर हैं.

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